स्वच्छता अभियान में अधिकारियों की कारगुजारी बेहद चौंकाने वाली, ग्रामीण, किसान परेशान
*सुमेरपुर* स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत स्वच्छता मिशन में लाखों की रकम सरकारी खजाने से खर्च करने के बाद भी गांव की हालत बद से बदतर बनी हुई है। सुमेरपुर उपखंड के अधिकतर गांवों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। योजना से जुड़े अधिकारी लगातार स्वच्छता मिशन की सफलता का ढिंढोरा पीटते हुए नजर आते रहते हैं। आए दिन कार्यक्रम आयोजित कर स्वच्छता अभियान की सफलता पर बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैं जबकि हकीकत इससे बहूत दूर है गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर देखा जाए तो हर बार गंदगी का अंबार फैला हुआ नजर आएगा। स्वच्छता अभियान में अधिकारियों की कारगुजारी बेहद चौंकाने वाली है केंद्र और राज्य सरकार स्वच्छ भारत अभियान में जोर लगा रही है वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के अधिकारी स्वच्छता अभियान को पलीता लगाने में लगे हुए हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो जान कर भी अंजान बन बैठे हैं अधिकारी, गावों में फैली गंदगी जो अनचाही बीमारियों को न्योता दे रही है। कहने को तो उपखंड की भारुंदा ग्राम पंचायत ग्रामीणों को सुविधाएं देने के लिए कई दावे करती है और राज्य सरकार ने भी गांवों को स्वच्छ एवं सुंदर रखने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं आम इंसान को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का कार्य एक संवेदनशील प्रशासन का ही होता है। लेकिन सुमेरपुर उपखंड के गांव भारुंदा जेजहां की ग्राम पंचायत सफाई व आवारा पशुओं की समस्या के मुद्दे पर चारों खाने चित होकर रह गई है। गांव के चारों और कचरे के ढेर व मुख्य मार्ग गन्दे पानी से भरे पड़े हुए दिखाई देंगे। इसी का एक प्रत्यक्ष नजारा सुमेरपुर उपखंड क्षेत्र के गांव भारुंदा में देखने को मिला। कैमरे में कैद तस्वीरों को देख कर ऐसा लगता है कि मानो तो कई महीनों से गांव की साफ-सफाई मात्र कागजों में हुई है। गांव भारुंदा में प्रवेश करने वाला मुख्य सड़क मार्ग पर बेहताशा गंदगी की भरमार पड़ी है ग्राम पंचायत भारुंदा से महज चंद ही कदमों की दूरी पर गंदगी कचरे के ढेर में लथपथ सड़के ओर एक किसान का खेत नजर आएगा। गंदगी से भरा किसान का खेत व भरी सड़कों से गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी बन गई है। ग्राम पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि सब कुछ देखते हुए भी आंखें बंद कर बैठे हैं।
*ग्राम पंचायत द्वारा बनाये गये गन्दे पानी के नाले से किसान का खेत बना गन्दे पानी का तालाब, फसल नष्ट होने कि कगार पर, जिम्मेदार कौन*
ग्राम पंचायत भारुंदा नें गांव के गंदे पानी की निकासी के लिए जो नाला बनाया गया है इससे पानी की निकासी नहीं हो रही है। नाले को ऐसी जगह बना कर छोड़ दिया गया है कि इसका पानी आगे जाने के बजाए सीधा किसान के खेत में गिरकर खेत बन रहा है गन्दे पानी का तालाब, किसान ने अपने खेत में निंबू की फसल लगाई हुई है और अब किसान नींबू कि फसल के बिच में टमाटर कि खेती से रह रहा है वंचित ओर वंचित रहने का कारण है ग्राम पंचायत द्वारा बनाया गया गन्दे पानी का नाला, किसान अब टमाटर कि फसल करने के लिए तैयार है परंतु नाले से गिर रहे पानी के कारण टमाटर कि फसल से रह रहा है वंचित, किसान के खेत की जमीन गन्दे पानी के कारण हो रही है बंजर। यदि गंदे पानी की निकासी खेत से नहीं रोकी गई तो किसान कि नींबू कि फसल पुरी तरह से नष्ट हो जाएगी। इस समस्या के समाधान के लिए किसान ने ग्राम पंचायत दरवाजा कई बार खटखटा कर सरपंच को मौखिक रूप से शिकायत कि गई परंतु किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। किसान को लाखों का नुक़सान जिम्मेदार कौन
*गंदगी के ढेर में पड़ा मुख्य मार्ग*
गांव केराल से भारुंदा व लखमावा से भारुदा, नोवी, बुडेरी, जाना से भारुंदा वाले प्रवेश द्वार की और गंदगी का अंबार तों वहीं गांव का मुख्य मार्ग जिन की सफाई बीते लंबे समय से नहीं हुई है देखने पर तों ऐसा ही नजर आ रहा है।
भारुंदा गांव का मुख्य मार्ग बना गन्दे पानी का तालाब
*प्लास्टिक एवं कूड़ा कचरा खा रहे पशु*
गांव भारुंदा में जहां देखो लगे कचरे के ढेरों में घुमंतु पशु मुंह मारते नजर आ रहे हैं। कचरे के ढेर में ज्यादातर प्लास्टिक खाते हुए नजर आते हैं गोवंश, लंबे समय से पड़े कचरे के चलते गांव में दुर्गंध फैल रही है वहीं प्लास्टिक खाने से गोवंशो की मौत होने कि भी संभावना रहती है।
*नाले की जगह किसान के खेत और मुख्य मार्ग पर बह रहा गंदा पानी*
गांव भारुंदा में बने गंदे पानी के निकासी नाले की स्थिति बद से बद्तर नजर आ रही है। साफ-सफाई के अभाव में नाले में कचरा एकत्रित होने के चलते गंदा पानी नाले की जगह गांव के मुख्य मार्ग पर बह रहा है। कीचड़ के पानी में से निकलने को मजबूर रहागीर और वाहन चालक, आखिरकार ग्रामीण करें तो भी क्या करें।