साण्डेराव– संत मनसुख हिरापुरी महाराज ने कहा कि हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से जातक को पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। वें चातुर्मास के दौरान अम्बिका मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। संत मनसुख हिरापुरी महाराज ने कहा कि हर वर्ष कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं। हर महीने दो एकादशी आती हैं। हर एकादशी का अलग-अलग महत्व शास्त्रों में वर्णित है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का भी विशेष महत्व है। भादो मास की इस एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी को व्रत उपवास करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत समाप्त करने को व्रत पारण कहा जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत पारण किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही समाप्त होता है।एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर न करना पाप समान होता है।
*गुरु बिन घोर अंधेरा*
अम्बिका मंदिर परिसर में चातुर्मास के दौरान लुणावा गांव से मंजु मेवाड़ा,पुष्पा मेवाड़ा के साथ हंजा देवी,रूपी देवी,पंखु देवी,आशा देवी,कन्या देवी, चंपा देवी सहित महिलाओं की मण्डली ने यहा पहुंच गणपति वंदना व गुरु महिमा के एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियां देकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। पुष्पा मेवाड़ा के साथ महिलाओं ने गुरु बिन घोर अंधेरा रे,,,,,,,, अमर बनाया ओं गुरुसा मोहने अमर बनाया हों,,,,,,, सतगुरु आया पोमणा,,,,,,, गुरु सा मोहने प्रेम प्यालों पाओ सा,,,,, भजनों की प्रस्तुतियां पर उपस्थित महिलाएं भक्ति में मग्न होकर झूमने लगी। संत मनसुख हिरापुरीजी महाराज के चातुर्मास व गुरुवार को दूर-दूर से भादों मास की एकादशी व्रत उपवास करने वाली बड़ी संख्या में महिलाएं अम्बिका मंदिर परिसर में पहुंची।ललिता मेवाड़ा के साथ पुजा मेवाड़ा ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया।