जिला अस्पताल में नहीं है आपातकालीन सुविधा, रात्रि के समय घायल को नहीं मिलती सुविधा

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रात के समय कोई दुर्घटना हो जाए तो एम्बूलेंस कर्मी को ही घायल को ले जाना पड़ता है भीतर, तभी हो पाता है उपचार

– अस्पताल के कुप्रबंधन का खामियाजा उठा रही है जनता, जनप्रतिनिधि बैठे है मौन

शिवगंज। उपखंड मुख्यालय पर स्थित राजकीय जिला अस्पताल का कुप्रबंधन यहां आने वाले मरीजों को भारी पड रहा है। हालात यह है कि राज्य सरकार ने जो सुविधाएं यहां उपलब्ध करवा रखी है उसका भी लोगों का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। आऊटडोर में बदहाली तो जगजाहिर है, मगर आपातकालीन सुविधा भी बदतर हो चुकी है। हालात यह हो गए है कि रात के समय कोई दुर्घटना में घायल को अस्पताल लाया जाए तो यदि एम्बुलेंस कर्मी उसे भीतर लेकर नहीं आए तो बेचारा उपचार के अभाव में वहीं दम तोड़ दे। ऐसा ही वाकया रविवार के तडके अस्पताल में नजर आया, जहां ट्रालीमेन के अभाव में एम्बुलेंस कर्मी को घायल को स्ट्रेचर पर डाल अस्पताल के भीतर ले जाना पड़ा।

गौरतलब है कि जिला अस्पताल पिछले काफी समय से अपने कुप्रबंधन के लिए सुर्खियों में है। अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार तक जानकारी होने के बावजूद व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है। जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के अंकुश के अभाव में अस्पताल की व्यवस्थाओं का संचालक करने वाले निरंकुश हो चुके है। हालात इस कदर है कि अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर किसी प्रकार की खबरें प्रकाशित नहीं हो इसके लिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार करने से परहेज नहीं करते है।

पिछले दिनों अस्पताल सफाई की बदहाली को लेकर सुर्खियों में रहने के बाद अब ताजा मामला आपातकालीन सुविधाओं की बदहाली को लेकर सामने आया है। रविवार के तडक़े राजमार्ग पर कोई दुर्घटना में किसी व्यक्ति के घायल हो जाने पर टोल प्लाजा की एम्बुलेंस 1033 घायल को लेकर जिला अस्पताल पहुंची। मगर अस्पताल में न तो चिकित्सक मौजूद मिले और न ही नर्सिग कर्मी। थोडी देर बाद जब नर्सिग कर्मी नर्सिग स्टेशन पहुंचे तो उन्होंने ट्रोलीमैन के अभाव में एम्बूलेंस कर्मी को ही घायल को स्ट्रेचर पर अस्पताल के भीतर लाने का फरमान सुना दिया। एम्बुलेंस कर्मी ने बताया कि अस्पताल में ट्रोलीमैन की व्यवस्था नहीं है। जब हमारी ओर से घायल को भीतर ले जाने का बोला जाता है तो मौजूद नर्सिग कर्मी उनसे ही बहस कर बैठते है। एम्बुलेंस कर्मी ने बताया कि जिला अस्पताल में आपातकालीन व्यवस्था के लिए कोई जिम्मेदार कार्मिक उपलब्ध नहीं होते है, उन्हें खुद को मरीज को अस्पताल में ले जाना पडता है। रविवार को भी दुर्घटना में घायल व्यक्ति को उन्हें खुद मरीज को अस्पताल के भीतर ले जाना पड़ा। बहरहाल, इस मामले के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल उठना शुरू हो गए है। समय रहते सरकार ने व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो यहां के हालात प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से भी बदतर हो जाएंगे।

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Author: 1st Bharat News

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